बाहर
की भटकन खूब हुई
आओ अब खुद की खोज करें
पैदा होना जीना मरना
सुख
दुःख की लहरों पे बहना
क्या
और भी है कुछ जीने में
आओ
अब इसकी खोज करें
तन
से बढकर है मन का सुख
मन
से बढकर है बुद्धि का
क्या
इससे भी बढकर सुख है
आओ
अब उसकी खोज करें
धन
दौलत और पृतिष्ठा की
है
चाह नहिं किसको जग मे
पा
कर इनको है कौन सुखी
आओ
अब उसकी खोज करें
जब
दुख के बादल घिरते हैं
मन
ब्याकुल होने लगता है
है
कौन जिसे यह होता है
आओ
अब उसकी खोज करें
जो
दिखता है वो सच है क्या
या
फिर कोई छलावा है
क्या
बात है ये क्या भेद है ये
आओ
अब इसकी खोज करें
मैं
कौन हूँ क्या है काम मेरा
जग
से है क्या नाता मेरा
क्या
सत्य है जो परदे मे है
आओ
अब खुद की खोज करें
No comments:
Post a Comment