Sunday 16 August 2020

खुद की खोज

बाहर की भटकन खूब हुई

आओ अब खुद की खोज करें 

पैदा होना जीना मरना

सुख दुःख की लहरों पे बहना

क्या और भी है कुछ जीने में

आओ अब इसकी खोज करें

 

तन से बढकर है मन का सुख

मन से बढकर है बुद्धि का

क्या इससे भी बढकर सुख है

आओ अब उसकी खोज करें

 

धन दौलत और पृतिष्ठा की

है चाह नहिं किसको जग मे

पा कर इनको है कौन सुखी

आओ अब उसकी खोज करें

 

जब दुख के बादल घिरते हैं

मन ब्याकुल होने लगता है

है कौन जिसे यह होता है

आओ अब उसकी खोज करें

 

जो दिखता है वो सच है क्या

या फिर कोई छलावा है

क्या बात है ये क्या भेद है ये

आओ अब इसकी खोज करें

 

मैं कौन हूँ क्या है काम मेरा

जग से है क्या नाता मेरा

क्या सत्य है जो परदे मे है

आओ अब खुद की खोज करें

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